तस्येह त्रिविधस्यापि त्र्यधिष्ठानस्य देहिनः । दशलक्षणयुक्तस्य मनो विद्यात्प्रवर्तकम् ।

(इह) इस विषय में मनुष्य के मन को उस उत्तम, मध्यम, अधम भेद से तीन प्रकार के; मन, वचन, क्रिया भेद से तीन आश्रय वाले और दशलक्षणों से युक्त कर्म का प्रवृत्त करनेवाला जानो

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