ब्राह्मणार्थे गवार्थे वा सद्यः प्राणान्परित्यजेत् । मुच्यते ब्रह्महत्याया गोप्ता गोर्ब्राह्मणस्य च

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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