कृतवापनो निवसेद्ग्रामान्ते गोव्रजेऽपि वा । आश्रमे वृक्षमूले वा गोब्राह्मणहिते रतः

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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