Adhyay : 11 Mantra : 7 Back to listings यस्य त्रैवार्षिकं भक्तं पर्याप्तं भृत्यवृत्तये । अधिकं वापि विद्येत स सोमं पातुं अर्हति Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related