Adhyay : 11 Mantra : 67 Back to listings ब्राह्मणस्य रुजः कृत्वा घ्रातिरघ्रेयमद्ययोः । जैह्म्यं च मैथुनं पुंसि जातिभ्रंशकरं स्मृतम् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related