नरके हि पतन्त्येते जुह्वन्तः स च यस्य तत् । तस्माद्वैतानकुशलो होता स्याद्वेदपारगः ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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