Adhyay : 11 Mantra : 28 Back to listings आपत्कल्पेन यो धर्मं कुरुतेऽनापदि द्विजः । स नाप्नोति फलं तस्य परत्रेति विचारितम् Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related