Adhyay : 11 Mantra : 237 Back to listings औषधान्यगदो विद्या दैवी च विविधा स्थितिः । तपसैव प्रसिध्यन्ति तपस्तेषां हि साधनम् Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related