औषधान्यगदो विद्या दैवी च विविधा स्थितिः । तपसैव प्रसिध्यन्ति तपस्तेषां हि साधनम्

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *