Adhyay : 11 Mantra : 22 Back to listings तस्य भृत्यजनं ज्ञात्वा स्वकुटुम्बान्महीपतिः । श्रुतशीले च विज्ञाय वृत्तिं धर्म्यां प्रकल्पयेत् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related