Adhyay : 11 Mantra : 215 Back to listings यतात्मनोऽप्रमत्तस्य द्वादशाहं अभोजनम् । पराको नाम कृच्छ्रोऽयं सर्वपापापनोदनः Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related