त्र्यहं प्रातस्त्र्यहं सायं त्र्यहं अद्यादयाचितम् । त्र्यहं परं च नाश्नीयात्प्राजापत्यं चरन्द्विजः

’प्राजापत्य’ नामक व्रत का पालन करने वाला द्विज पहले तीन दिन प्रातःकाल ही, फिर तीन दिन केवल सांयकाल, उसके पश्चात् तीन दिन बिना मांगे जो मिले उसका ही भोजन करे और (पर त्रि+अहं न अश्नीयात्) उसके बाद फिर तीन दिन उपवास रखे । (यह प्राजापत्य व्रत है) ।

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