Adhyay : 11 Mantra : 205 Back to listings ताडयित्वा तृणेनापि कण्ठे वाबध्य वाससा । विवादे वा विनिर्जित्य प्रणिपत्य प्रसादयेत् । । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related