Adhyay : 11 Mantra : 201 Back to listings उष्ट्रयानं समारुह्य खरयानं तु कामतः । स्नात्वा तु विप्रो दिग्वासाः प्राणायामेन शुध्यति Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related