Adhyay : 11 Mantra : 195 Back to listings उपवासकृशं तं तु गोव्रजात्पुनरागतम् । प्रणतं प्रति पृच्छेयुः साम्यं सौम्येच्छसीति किम् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related