Adhyay : 11 Mantra : 189 Back to listings एनस्विभिरनिर्णिक्तैर्नार्थं किं चित्सहाचरेत् । कृतनिर्णेजनांश्चैव न जुगुप्सेत कर्हि चित् Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related