प्रायश्चित्ते तु चरिते पूर्णकुम्भं अपां नवम् । तेनैव सार्धं प्रास्येयुः स्नात्वा पुण्ये जलाशये

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *