Adhyay : 11 Mantra : 184 Back to listings निवर्तेरंश्च तस्मात्तु संभाषणसहासने । दायाद्यस्य प्रदानं च यात्रा चैव हि लौकिकी । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related