यत्करोत्येकरात्रेण वृषलीसेवनाद्द्विजः । तद्भैक्षभुग्जपन्नित्यं त्रिभिर्वर्षैर्व्यपोहति

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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