मणिमुक्ताप्रवालानां ताम्रस्य रजतस्य च । अयःकांस्योपलानां च द्वादशाहं कणान्नता

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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