Adhyay : 11 Mantra : 150 Back to listings अज्ञानात्प्राश्य विण्मूत्रं सुरासंस्पृष्टं एव च । पुनः संस्कारं अर्हन्ति त्रयो वर्णा द्विजातयः Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related