अज्ञानात्प्राश्य विण्मूत्रं सुरासंस्पृष्टं एव च । पुनः संस्कारं अर्हन्ति त्रयो वर्णा द्विजातयः

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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