Adhyay : 11 Mantra : 149 Back to listings ब्राह्मणस्तु सुरापस्य गन्धं आघ्राय सोमपः । प्राणानप्सु त्रिरायम्य घृतं प्राश्य विशुध्यति । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related