जीनकार्मुकबस्तावीन्पृथग्दद्याद्विशुद्धये । चतुर्णां अपि वर्णानां नारीर्हत्वानवस्थिताः

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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