Adhyay : 11 Mantra : 138 Back to listings जीनकार्मुकबस्तावीन्पृथग्दद्याद्विशुद्धये । चतुर्णां अपि वर्णानां नारीर्हत्वानवस्थिताः Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related