एतदेव व्रतं कृत्स्नं षण्मासाञ् शूद्रहा चरेत् । वृषभैकादशा वापि दद्याद्विप्राय गाः सिताः

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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