Adhyay : 11 Mantra : 124 Back to listings जातिभ्रंशकरं कर्म कृत्वान्यतमं इच्छया । चरेत्सांतपनं कृच्छ्रं प्राजापत्यं अनिच्छया । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related