Adhyay : 10 Mantra : 95 Back to listings जीवेदेतेन राजन्यः सर्वेणाप्यनयं गतः । न त्वेव ज्यायंसीं वृत्तिं अभिमन्येत कर्हि चित् । । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related