Adhyay : 10 Mantra : 66 Back to listings अनार्यायां समुत्पन्नो ब्राह्मणात्तु यदृच्छया । ब्राह्मण्यां अप्यनार्यात्तु श्रेयस्त्वं क्वेति चेद्भवेत् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related