मुखबाहूरुपज्जानां या लोके जातयो बहिः । म्लेच्छवाचश्चार्यवाचः सर्वे ते दस्यवः स्मृताः

लोक में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र इन चार वर्णों से कर्त्तव्यपालन न करने के कारण बहिष्कृत या इनमें अदीक्षित (या जातयः) जो जातियाँ है चाहे वे स्लेच्छभाषाएं बोलती है या आर्यभाषाएं वे सब ’दस्यु’ कहलाती है ।

महर्षि दयानन्द ने इस श्लोक की द्वितीय पंक्ति उद्धृत करके लिखा है-“जो आर्यावर्त देश से भिन्न देश है, वे दस्यु देश और स्लेच्छदेश कहाते हैं ।” (स. प्र. अष्टम समु.)

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *