Adhyay : 10 Mantra : 29 Back to listings ते चापि बाह्यान्सुबहूंस्ततोऽप्यधिकदूषितान् । परस्परस्य दारेषु जनयन्ति विगर्हितान् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related