Adhyay : 10 Mantra : 104 Back to listings जीवितात्ययं आपन्नो योऽन्नं अत्ति ततस्ततः । आकाशं इव पङ्केन न स पापेन लिप्यते । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related