यैः कर्मभिः प्रचरितैः शुश्रूष्यन्ते द्विजातयः । तानि कारुककर्माणि शिल्पानि विविधानि च

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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