प्राक् पहले श्लोकों में (१।७१) यत् जो द्वादशसाहस्त्रम् बारह हजार दिव्य वर्षों का दैविकं युगम् उदितम् एक ‘देवयुग’ कहा है तत् एक – सप्ततिगुणम् उससे इकहत्तर गुना समय अर्थात् १२००० × ७१ – ८, ५२, ००० दिव्यवर्षों का अथवा ८,५२,००० दिव्यवर्ष × ३६० = ३०,६७,२०,००० मानुषवर्षों का इह मन्वन्तरं उच्यते यहां एक ‘मन्वन्तर’ का कालपरिमाण माना गया है ।