यदेतत्परिसंख्यातं आदावेव चतुर्युगम् । एतद्द्वादशसाहस्रं देवानां युगं उच्यते

यद् एतत् जो यह आदौ पहले (६९-७० में) चतुर्युगम् चारों युगों को परिसंख्यातम् कालपरिमाण के रूप में गिनाया है एतद् यह द्वादश- साहस्त्रम् बारह हजार दिव्य वर्षों का काल मनुष्यों का एक चतुर्युगी का काल देवानाम् देवताओं का युगम् एक युग उच्यते कहा जाता है ।

स्पष्टीकरण – १२००० दिव्य वर्षों की एक चतुर्युगी होती है । उसे मानुष वर्षों में बदलने के लिए ३६० से गुणा करने पर १२००० × ३६० त्र ४३,२०,००० मानुष वर्षों की एक चतुर्युगी होती है । दोनों श्लोकों के कालपरिमाण को तालिका के रूप में इस प्रकार रखा जा सकता है –

दिव्यवर्ष         संध्यावर्ष        संध्यांशवर्ष     कुल दिव्यवर्षों का      गुणा करने से मानुष वर्षो का            युगनाम

४०००+            ४००+  ४००=  ४८००×            ३६०=  १७,२८,०००    सतयुग

३०००+            ३००+  ३००=  ३६००×            ३६०=  १२,९६,०००    त्रेतायुग

२०००+            २००+  २००=  २४००×            ३६०=  ८,६४,०००       द्वापरयुग

१०००+            १००+  १००=  १२००×            ३६०=  ४,३२,०००       कलियुग

१००००+         १०००+            १०००=           १२०००×         ३६०=  ४३,२०,०००    एकचतुर्युगी

 

ब्रह्म के दिन – रात का परिमाण –

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