इतरेषु ससंध्येषु ससंध्यांशेषु च त्रिषु । एकापायेन वर्तन्ते सहस्राणि शतानि च

च और इतरेषु त्रिषु शेष अन्य तीन – त्रेता, द्वापर, कलियुगों में ससंध्येषु संसध्यांशेषु ‘संध्या’ नामक कालों में तथा ‘संध्यांश’ नामक कालों में सहस्त्राणि च शतानि एक – अपायेन क्रमशः एक हजार और एक – एक सौ घटा देने से वर्तन्ते उनका अपना – अपना कालपरिमाण निकल आता है अर्थात् ४८०० दिव्यवर्षों का सतयुग होता है, उसकी संख्याओं मं एक सहस्त्र और संध्या व संध्यांश में एक – एक सौ घटाने से ३००० दिव्यवर्ष + ३०० संध्यावर्ष + ३०० संध्यांशवर्ष – ३६०० दिव्यवर्षों का त्रेतायुग होता है । इसी प्रकार – २०००+२००+२००- २४०० दिव्यवर्षों का द्वापर और १०००+१००+१०० – १२०० दिव्यवर्षों का कलियुग होता है ।

 

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