ब्राह्मस्य तु क्षपाहस्य यत्प्रमाणं समासतः । एकैकशो युगानां तु क्रमशस्तन्निबोधत ।

(मनु महर्षियों से कहते हैं कि) (ब्राह्मस्य तु क्षपा – अहस्य) परमात्मा के दिन – रात का तु तथा एकैकशः युगानाम् एक – एक युगों का यत् प्रमाणम् जो कालपरिमाण है तत् उसे क्रमशः क्रमानुसार और समासतः संक्षेप से निबोधत सुनो ।

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