तमसा बहुरूपेण वेष्टिताः कर्महेतुना । अन्तःसंज्ञा भवन्त्येते सुखदुःखसमन्विताः ।

कर्महेतुना) पूर्वजन्मों के कर्मों के कारण (बहुरूपेण तमसा) बहुत प्रकार के तमोगुण से (वेष्टिताः) संयुक्त या घिरे हुए (एते) ये स्थावर जीव (अन्तः – संज्ञाः भवन्ति) आन्तरिक चेतना वाले (जिनके भीतर तो चेतना है किन्तु बाहरी क्रियाओं में प्रकट नहीं होती) होते हैं (सुख – दुःखसमन्विताः) और सुख – दुःख के भावों से युक्त होते हैं ।

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