(विविधम्) अनेक प्रकार के (गुच्छ) जड़ से गुच्छे के रूप में बनने वाले ‘झाड़’ आदि (गुल्मम्) एक जड़ से अनेक भागों में फूटने वाले ‘ईख’ आदि (तथैव) उसी प्रकार (तृणजातयः) घास की सब जातियां, (बीज – काण्डरूहाणि) बीज और शाखा से उत्पन्न होने वाले (प्रतानाः) उगकर फैलने वाली ‘दूब’ आदि (च) और (वल्ल्यः) उगकर किसी का सहारा लेकर चढ़ने वाली बेलें (एव) ये सब स्थावर भी ‘उद्धिज्ज’ कहलाते हैं ।