भगवन्सर्ववर्णानां यथावदनुपूर्वशः । अन्तरप्रभवानां च धर्मान्नो वक्तुं अर्हसि ।

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महर्षियों का मनु से वर्णाश्रम धर्मों के विषय में प्रश्न –

२. भगवन् हे भगवन्! आप सर्ववर्णानाम् सब वर्णों – ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य शूद्र, च और अन्तरप्रभवाणाम् सभी वर्णों के अन्दर होने वाले अर्थात् आश्रमों – ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास के वर्णानां अन्तरे प्रभवः – उत्पत्ति; , स्थितिः येषां ते अन्तरप्रभवाः – आश्रमाः धर्मान् धर्म – कत्र्तव्यों को यथावत् ठीक – ठीक रूप से अनुपूर्वशः और क्रमानुसार अर्थात् वर्णों को ब्राह्मण, क्षत्रिय , वैश्य और शूद्र के क्रम से तथा आश्रमों को ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास के क्रम से नः हमें वक्तुम् बतलाने में अर्हसि समर्थ हो ।

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