तदाविशन्ति भूतानि महान्ति सह कर्मभिः । मनश्चावयवैः सूक्ष्मैः सर्वभूतकृदव्ययम् ।

(तदा) तब जगत् के तत्त्वों की सृष्टि होने पर (सह कर्मभिः) अपने – अपने कर्मों के साथ (महान्ति भूतानि) शक्तिशाली सभी सूक्ष्म महाभूत (च) और (सूक्ष्मैः अवयवैः मनः) अपने सूक्ष्म अवयवों – इन्द्रियों और अहंकार के साथ मन (सर्वभूतकृद् अव्ययम्) सब प्राणियों को जन्म देने वाले अविनाशी आत्मा को (आविशन्ति) आवेष्टित करते हैं (और इस प्रकार सूक्ष्म शरीर की रचना होती है ।)

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