तेषां त्ववयवान्सूक्ष्मान्षण्णां अप्यमितौजसाम् । संनिवेश्यात्ममात्रासु सर्वभूतानि निर्ममे ।

तेषां तु) ऊपर (१४,१५) वर्णन किये गये उन तत्त्वों में से (अमित

– औजसाम्) अनन्त शक्तिवाले (षण्णां अपि) छहों तत्त्वों के (सूक्ष्मान् अवयवान्) सूक्ष्म अवयवों (शब्द, स्पर्श, रूप, रस और गन्ध ये पांच तन्मात्रायें तथा छठे अहंकार के सूक्ष्म अवयवों) को (आत्ममात्रासु) उनके आत्मभूत तत्त्वों के विकारी अंशों अर्थात् कारणों में मिलाकर (सर्वभूतानि) सब पांचों महाभूतों आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथिवी , की (निर्ममे) सृष्टि की ।

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