उदितेऽनुदिते चैव समयाध्युषिते तथा । सर्वथा वर्तते यज्ञ इतीयं वैदिकी श्रुतिः

उदिते सूर्योदय के समय च अनुद्विते और सूर्यास्त के समय तथा तथा समयाध्युषिते किसी भी निर्धारित किये समय में जैसे विशेष उपलक्ष्य में आयोजित यज्ञ सर्वथा यज्ञ वर्तते सब स्थितियों में यज्ञ कर लेना चाहिए इति इयं वैदिकी श्रुतिः इस प्रकार ये तीनों ही वैदिक वचन हैं अर्थात् ये तीनों ही धर्म हैं ।

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