यत्तत्कारणं अव्यक्तं नित्यं सदसदात्मकम् । तद्विसृष्टः स पुरुषो लोके ब्रह्मेति कीर्त्यते ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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