पुनाति पङ्क्तिं वंश्यांश्च सप्तसप्त परावरान् । पृथिवीं अपि चैवेमां कृत्स्नां एकोऽपि सोऽर्हति

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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