इदं शास्त्रं अधीयानो ब्राह्मणः शंसितव्रतः । मनोवाग्गेहजैर्नित्यं कर्मदोषैर्न लिप्यते ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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