(ख) श्री कृष्ण जी का जन्म खीरे से, जिसमें पीछे खीरे की बेल भी जुड़ी होती है, क्यों किया जाता है?

(ख) श्री कृष्ण जी का जन्म खीरे से, जिसमें पीछे खीरे की बेल भी जुड़ी होती है, क्यों किया जाता है?

आशा है, आप मेरे प्रश्नों का उत्तर देकर मुझे सन्तुष्ट करेंगे। जन्म करने वाले मेरी जिज्ञासा का समाधान नहीं कर सके।

– आशा आर्या, 14, मोहन मेकिन्स रोड, डालीगंज, लखनऊ-226020, उ.प्र

(ख) कृष्ण को खीरे की बेल से पैदा करवाना भी इनके अज्ञान का द्योतक है। कभी भी मनुष्य या अन्य प्राणी किसी बेल से उत्पन्न नहीं होते, न ही हो सकते। मनुष्यादि सदा माता-पिता के संयोग से पैदा होते हैं (आदि सृष्टि की रचना को छोड़कर)। सृष्टि विरुद्ध पैदा करने की लीला पुराणों में भरी पड़ी है और ये लोग वेद को छोड़ पुराणों को अधिक स्वीकारते हैं।

भागवत पुराण में सृष्टि रचना- विष्णु की नाभि से कमल, कमल से ब्रह्मा और ब्रह्मा के दाहिने पैर के अँगुठे से स्वायमभुव, और बायें अँगूठे से शतरूपा रानी। ललाट से रूद्र और मरीचि आदि दश पुत्र, उनसे दश प्रजापति। दक्ष की तेरह लड़कियों का विवाह कश्यप से। उनमें से दिति से दैत्य, दनु से दानव, अदिति से आदित्य, विनिता से पक्षी, कद्रू से सर्प, सरमा से कुत्ते-स्याल आदि और अन्य स्त्रियों से हाथी, घोड़े, ऊँट, गधा, भैंसा, घासफूस और बबूल आदि वृक्ष काँटे सहित उत्पन्न हुए। ये बिना सिर-पैर की बातें इनके सबसे अधिक प्रचलित भागवत पुराण की हैं। मनुष्य से इन्होंने गधे, घोड़े पैदा करवा दिये, काँटों वाले वृक्ष पैदा करवा दिये तो खीरे की बेल से कृष्ण जी को पैदा करवा देना इनके लिए कौन-सी बड़ी बात है।

ऐसा ही देवी भगवत का गपोड़ा है- जब देवी की इच्छा हुई कि संसार बनाना है, तब उसने अपना हाथ घिसा। उससे हाथ में छाला हुआ। उसमें से ब्रह्मा की उत्पत्ति हुई। उससे देवी ने कहा कि तू मुझसे विवाह कर। ब्रह्मा ने कहा कि तू मेरी माता लगती है, मैं तुझसे विवाह नहीं कर सकता। ऐसा सुन माता को क्रोध चढ़ा और लड़के को भस्म कर दिया और फिर हाथ घिस कर उसी प्रकार दूसरा लड़का उत्पन्न किया, उसका नाम विष्णु रखा। उससे भी उसी प्रकार कहा। उसने भी न माना तो उसको भी भस्म कर दिया। पुनः इसी प्रकार  तीसरे लड़के को उत्पन्न किया और उसका नाम महादेव रखा और उससे कहा कि तू मुझसे विवाह कर। महादेव बोला कि मैं तुझसे विवाह नहीं कर सकता, तू दूसरा स्त्री का शरीर धारण कर। वैसा ही देवी ने किया। तब महादेव ने कहा कि ये दो ठिकाने राख-सी क्या पड़ी है? देवी ने कहा- ये तेरे भाई हैं, इन्होंने मेरी आज्ञा नहीं मानी, इसलिए भस्म कर दिये। महादेव ने कहा कि मैं अकेला क्या करूँगा, इनको जीवित कर दे और दो स्त्री उत्पन्न और कर, तीनों का विवाह तीनों से होगा। ऐसा ही देवी ने किया। फिर तीनों का तीनों के साथ विवाह हुआ। ये पोप लीला पुराण की है, इन पुराणवादियों के देवता हाथ से रगड़े हुए छाले से पैदा हुए हैं, कहीं विष्णु की नाभि से कमल और उससे ब्रह्मा तो खीरे की बेल से कृष्ण को पैदा ये कर दें तो कौन-सी बड़ी बात है!!! तात्पर्य है, जो आपने पूछा है, वह सब इन मिथ्यावादी, पुराणवादियों की लीला है, इसमें तथ्य कुछ भी नहीं है।

– ऋषि उद्यान, पुष्कर मार्ग, अजमेर

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