केरल के साठ वर्षीय वेद प्रचार का मूल्यांकन

ओउम
केरल के साठ वर्षीय वेद प्रचार का मूल्यांकन
डा.अशोक आर्य
केरल में वेद प्रचार तथा आर्य समाज का जो पौधा प्र. राजेन्द्र जिज्ञासु जी ने लगभग साठ वर्ष पूर्व लगाया था तथा जिस के प्रमुख प्रचारक केरल में आचार्य नरेंद्र भूषण जी ने चेनगान्नुर को केंद्र बना कर कार्य किया , उस के परिणाम स्वरूप केरल के लगभग प्रत्येक कोने में आर्य समाजका नाम दिखाई देने लगा था | अनेक प्रचारक तैयार हुए , अनेक पुस्तकें , यहाँ तक चार वेद भी मूल रूप में मलयालम में अनुदित होकर प्रकाशित हुए तथा निरंतर यग्य व शुद्धि का कार्य हुआ तथा लगभग डेढ़ लाख इसाई व् मुसलमान भी शुद्ध किये गए | चाहे अपने जीवन के अंतिम क्षणों में वह स्वेच्छा से कार्य न करा सके क्योंकि पुत्र के इशारे पर चलना उनके लिए आवह्य्स्क होगया था किन्तु उनके प्रयास का परिणाम यह हुआ कि कारल के कालीकट जिसे आजकल कोजिकोड़े कहते हैं में वेद रिसर्च फौन्देशन चला रहा है | एरनाकुलम में विगर दिनाओं मलयालम में यजुर्वेद ऋषि भाष्य का अनुवाद प्रकाशित हो चूका है | बहुत से ग्रन्थ भी प्रकाशित हो चुके हैं , यहाँ तक कि सत्यार्थ प्रकाश का मलयालम अनुवाद भी चेनगान्नुर से प्रकाशित हुआ | विगत अनेक वर्षों से कालीकट के डा. एम् आर राजेश की देख रेख व प्रयास से उनके साथियों के नेतृत्व में लगभग पचास हजार परिवारों में प्रतिदिन यज्ञ हो रहा है , अनेक ग्रथों का प्रकाशन भी किया जा रहा है अनेक शिविर व समारोह भी हो रहे हैं |
केरल के जिला ही पालाकाड के विलेंजी के श्री के आर राजन जी खूब काम कर रहे हैं | इन्होंने भी सत्यार्थ प्रकाश सहित अनेक ग्रंथों का मलयालम में अनुवाद कर ऋषि का ऋण चुकाने का यत्न किया है | यहाँ पर एक गुरुकुल , एक गौशाला तथा एक उपदेशक विद्यालय भी चल रहा है | खूब जोर का काम चल रहा है |
मैं विगत बावन वर्ष से केरल वैदिक मिशन से जुडा हूँ | अनेक वर्ष इसका सदस्य, प्रचार मंत्री तथा लगभग बीस वर्ष इसका महामंत्री रहा | आजकल मैं इस का संरक्षक हूँ तथा इसकी सब जिम्मेवारियां युवकों को सौंप दी है | इस कार्य के लिए पचास से भी अधिक बार प्रा. राजेन्द्र जिज्ञासु जी कई बार स्व. डा, धर्मवीर आर जी और कई बार मैं भी वहां का काम देखने तथा वहां प्रचार के लिए गए हैं | इस सब प्रयासों के कारण ही केरल में वेद तथा आर्य समाज की तूती नोला रही है |
यश के लिए झूठ
लोग इस प्रकार के हैं जो बिअना प्रयास के झूठ का सहारा ले कर सत्य को झुठलाने लगे हैं | एसा ही एक उदाहरण आज महर्षि दयानान्न्द गो संवर्धन केंद्र गाजीपुर दिल्ली में भी देखने को मिला | आर्य प्रतिनिधि सभा दिल्ली के मंत्री विनय आर्य ( जो केरल वैदिक मिशन के लम्बे समय के कार्य से भली भाँती परिचित हैं ) ने यहाँ बोअलाते हुए कहा कि केरल में आर्य समाज का दो वर्ष पूर्व कोई काम न था किन्तु महाशय धर्म पाल जी ने सात एकड़ जमीं लेकर कालीकट में वेद रिसर्च फाउंडेशन कि स्थापना की ( जब कि यह पहले से ही कार्य हो रहा है और मैं आठ वर्ष पूर्व इस फाउंडेशन के कार्यक्रम में भाग लेने गया था और मुझे तथा प्रा. राजेन्द्र जिज्ञासु जी के साथ बंगलोर के डा. राधाकृष्ण जी तथा हैदराबाद के डा. हरीश जी को सम्मानित ई किया गया था और इस सब की जानकारी विनय आर्य जी को थी ) तथा अब केरल के कालीकट में प्रथम गौशाला भी स्थापित की जा रही है | नजाने कुन सा यश लेने के लिए यह झूठ परोसने का कार्य विनय आर्य जी कर रहे हैं आर्य समाज के नियमों में कहा गया हाई “ सत्य के ग्रहण करने और असत्य के त्यागने को सर्वथा उद्यत रहना चाहिये “|अर्थात सत्य के प्रकाशन के लिए चाहे कितने भी कष्ट उठाने पड़े घबराना नहीं चाहिए और यह्सभा के मंत्री असत्य का प्रचार कर रहे हैं , यह घृणित व निंदनीय है | आहिये उन्हें अपनी इस भूल के लिए क्षमा माँगते हुए भविष्य में झोत बोलने से बचने का संकल्प लेना चाहिए अथवा आर्य समाज के सब पदों स अलग हो जाना चाहिए |
डा. अशोक आर्य

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *