ढोंगी बाबाओं की दौड़ में एक चेहरा ये भी मौलाना अग्निवेश

 

agnivesh 1

देश में बढ़ रहे बाबाओं के प्रकोप और उनकी उग्र भीड़ ने इस देश को यह सीख तो दे ही दी है की इस देश में पाखंड अपने चरम पर है

गुरुडम की परम्परा कितनी घातक है इस देश के लिए जिसका नमूना हरियाणा दो बार देख चूका है और थोड़ी सी आशा जगी है की देश की आने वाली पीढ़ी अब इस गुरुडम से दूर रहेगी

मेरा मन्तव्य यह नही की किसी को गुरु न समझे गुरु तो हर वह मनुष्य है जिससे आप कुछ न कुछ किसी न किसी प्रकार से सीखते है परन्तु वह गुरु घातक है जो “गुरु गोविन्द दोनों खड़े काके लागू पाय” वाली पंक्तियों को अपने पर लागू करवाते है

अर्थात वह गुरु घातक है जो अपने आप को ईश्वर के समकक्ष और उससे ऊपर दिखाए

 

आज इस देश में यही तो सब कुछ हो रहा महत्वकांक्षाओं के दायरे को पूरा करने के लिए कुछ लोग अपने आप को बाबा सिद्ध कर अपने शासन करने के स्वप्न को पूरा करने के लिए हर हद पार कर रहे है

मेरा मानना है की विद्वान कोई भी हो स्कोलर कैसा भी हो जब आपको उसमें अहंकार एक सिमित मात्रा से अधिक दिखने लग जाए उसे दरकिनार करना ही उचित है क्यूंकि उस राम रूपी विद्वान (जिसमें अहंकार बढ़ता जा रहा है) को आपके अत्यधिक समर्थन से रावण बनते देर नहीं लगेगी

 

इसी गलती से आज इस देश को कुछ रावण मिले है

 

रामपाल

रामवृक्ष

राम-रहीम

आशाराम

 

इनके समर्थकों में एक बात जो एक जैसी है वह ही शिक्षा का स्तर इन सभी रावणों के समर्थक लगभग निरक्षर या अल्पबुद्धि वाले है परन्तु कुछ भेड़ चाल के आदि पढ़े लिखे लोग भी इन रावणों के समर्थक बने बैठे है मेरी पीड़ा उस वर्ग को लेकर अधिक है क्यूंकि बिन आँखों के व्यक्ति का ठोकर खाकर गिरना और कई जगहों पर गिरते रहना स्वाभाविक और उसमें उसकी गलती नही परन्तु आँखे होते हुए जो गढ़े में गिरे ऐसे लोगों के प्रति पीड़ा होना लाजमी है

मुझे आश्चर्य होता है की इस विकासशील देश में जो एक जगह तो चाँद पर पहुँच चूका है और एक जगह आज भी कुछ तथाकथित बाबाओं का अंधभक्त बना हुआ है ऐसा क्यों है

 

जवाब बहुत साधारण है

 

वैदिक शास्त्रों से दुरी, वेदों के प्रति अरुचि, अनभिज्ञता, और अवैदिक साहित्यों के प्रति अधिक रूचि |

 

आर्य समाज में भी इसी तरह का एक व्यक्ति घुसा हुआ है (जबरदस्ती एक सभा के पद पर काबिज है)

आर्य समाज ने तो इस व्यक्ति की खाल के निचे छुपे भेड़िये को पहचान लिया है अब हमारा कर्तव्य है इसके बारे में आपको जानकारी दे दी जाय सूचित किया जिससे आने वाले समय में यह भेड़िया इन रावणों की तरह देश को वह और उसके अंधभक्त नुक्सान न पहुंचा सके

और आर्य समाज निवेदन करता है की देश में फेले ऐसे सांपो को पहचान कर समय पर ही इनके फन काट दिए जाए अन्यथा देश पुनः कई घातक परिणाम भुगतेगा

आर्य समाज में एक तथाकथित, मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने वाला अग्निवेश जबरदस्ती घुसा बेठा है आर्य समाज ने तो उसे उसके पसंद के मजहब के लोगों का पसंदीदा तीन तलाक दे दिया है परन्तु यह व्यक्ति अब भी अपने वीडियों कार्यक्रमों में स्वामी दयानन्द सरस्वती की फोटो लगाकर लोगों को गुमराह कर रहा है और आर्य समाज के प्रति लोगों के हृदय में विष घोल रहा है

चिंता तो अब यही है की जिस प्रकार व्यक्ति पूजा में अंधे लोग जिस प्रकार इन बाबाओं के समर्थन में देश में आगजनी करते आये है उसी तरह यदि इस अग्निवेश पर शिकंजा नहीं कसा गया तो मुसलमान वैदिक धर्म के प्रति उग्र और हावी होने लगेंगे और इसके समर्थक जो एक शांतिप्रिय सम्प्रदाय से है वे समय आने पर अग्निवेश के लिए भी इस देश में आगजनी कर देंगे

अग्निवेश किसी प्रकार का समाज सेवी नहीं अपितु एक षड्यंत्र का हिस्सा है यह वामपंथी विचारधारा का व्यक्ति इस देश की अखंडता और सम्प्रभुता को नष्ट करने के लिए कार्यरत है

इसका जितना विरोध किया जा सकता है करना चाहिए

अंत में एक निवेदन

अपने वास्तविक पिता (ईश्वर जो निराकार है सर्वव्यापी है) को छोड़कर गल्ली कुचे में बैठे बाबाओं को अपना पिता मत बनाइए

उन्हें अपना पिता बनाने से आपका सर्वनाश ही है कल्याण नहीं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *