वर्तमान समय में धर्मगुरुओं में ये भावना घर कर गई कि महर्षि जी इतने विद्वान् नहीं थे जितने हम हैं कृपया इस पर विस्तार से मार्ग दर्शन करनेकी कृपा करें।

वर्तमान समय में धर्मगुरुओं में ये भावना घर कर गई कि महर्षि जी इतने विद्वान् नहीं थे जितने हम हैं कृपया इस पर विस्तार से मार्ग दर्शन करनेकी कृपा करें।

– देवपाल आर्य, देव दयानन्द आश्रम, लालूखेड़ी, डा. अलीपुरखेड़ी, जनपद मुजफरनगर-251301 उ.प्र.।

समाधानः

 महर्षि दयानन्द कितने विद्वान् थे इसका प्रमाण पत्र क्या अविद्या की साक्षात्मूर्ति तथा कथित धर्मगुरु देंगे? महर्षि को विद्वान् का प्रमाण पत्र इन वर्तमान के धर्मगुरुओं से नहीं चाहिए। महर्षि की विद्वत्ता को पक्षपात रहित विद्वान् ही जान सकता है, इनकी विद्वत्ता को ये अपनी पूजा कराने वाले और पाखण्ड फैलाने वाले क्या जाने?

काशी शास्त्रार्थ में एक ओर उस समय के प्रकाण्ड पण्डित स्वामी विशुद्धानन्द, बाल शास्त्री, शिवसहाय, माधवाचार्य आदि सत्ताईस-अट्ठाईस विद्वान् दूसरी ओर इन सबको धूल चटाने वाला विद्या का सागर अकेला महर्षि दयानन्द था। उस दिन इन धर्मगुरुओं के आदर्श पण्डितों ने काशी शास्त्रार्थ में ऋषि दयानन्द की विद्वत्ता का लोहा माना था। महर्षि दयानन्द की विद्वत्ता व साधुपने से प्रभावित होकर राधा-स्वामी मत के प्रमुख ‘हजुर साहिब’ ने ऋषि दयानन्द की जीवनी लिखी थी। महर्षि की विद्वत्ता के कारण आज कुरान और बाईबल की आयतों के अर्थ बदल गये। पौराणिकों के पारिभाषिक शबदों के अर्थ बदल गये। उनकी विद्वत्ता के कारण ही कोई मत समप्रदाय का अनुयाई शास्त्रार्थ में जीत नहीं पाया। महर्षि के विचारान्दोलन के कारण ही आज कुमभ में एक दलित को साथ लेकर स्नान किया जा रहा है। महर्षि दयानन्द के विद्या विचार के कारण ही घर वापसी हो रही है। महर्षि की विद्या, तप, त्याग, ईश्वर समर्पण को देख सिंध प्रांत के प्रर्सिद्ध समाज सुधारक टी.एल. बास्वानी ने भक्ति भाव से ऋषि जीवन पर आधारित तीन पुस्तकें लिखी। विदेशी विद्वान् रोमा रोलां ने महर्षि के विषय में अपने सर्वोत्कृष्ट विचार लिखे। महर्षि दयानन्द कितने बड़े विद्या के भण्डार थे यह जानकारी उनके ग्रन्थ, वेद भाष्य, पत्र व्यवहार, उनका जीवन चरित्र ये सब दे रहें। फिर भी जिस किसी अल्प मति को अपना मत समप्रदाय रूपी व्यवसाय चलाना होता है तो वह प्रायः किसी बड़े व्यक्ति की आलोचना किया करता है कि जिससे उसकी दूकान चलने लग जाये। ऐसा ही वर्तमान का कोई-कोई धर्मगुरु कर रहा होगा। अस्तु।

– ऋषि उद्यान, पुष्कर मार्ग, अजमेर।

One thought on “वर्तमान समय में धर्मगुरुओं में ये भावना घर कर गई कि महर्षि जी इतने विद्वान् नहीं थे जितने हम हैं कृपया इस पर विस्तार से मार्ग दर्शन करनेकी कृपा करें।”

  1. Maharishi ek rishi the brahma se jaimini muni ki paramparavaale!

    Calcutta University ke senate hall 1881 mein bharat bhar ke 300+ pauranik vidvaan aacharya mahant dharmacharya aaye the ek Dayanand ko galat pramaanit kaarne ke liye par sab ke sab haar gaye! Padein Maharishi Dayanand ka ek alabhya Shastrartha. – Pt Satyaprakash Beegoo

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