महात्मा बुद्ध के प्राचीन ब्राह्मणों ,ऋषियों पर विचार


आज कल के अम्बेडकरवादी बुद्ध के भक्त तो बनते है लेकिन बुद्ध का एक भी कथन नही मानते है ऋषियों का अपमानइनका बुद्ध वचन के विरुद्ध कृत है ,,यहा हम ब्राह्मण धम्मिय सूक्त के कुछ सूक्त रखेंगे –
बुद्ध के समय के एक ब्राह्मण महाशाळा ने बुद्ध से कहा –
है गौतम ! इस समय ब्राह्मण ओर पुराने समय ब्राह्मणों के ब्राह्मण धर्म पर आरूढ़ दिखाई पड़ते है न ?
बुद्ध – ब्राह्मणों | इस समय के ब्राह्मण धर्म पर आरूढ़ नही है |
म्हाशालो – अच्छा गौतम अब आप हमे पुराने ब्राह्मणों के उनके धर्म पर कथन करे | यदि गौतम आपको कष्ट न होतो
बुद्ध – तो ब्राह्मणों ! सुनो अच्छी तरह मन में करो ,कहता हु |”
– पुराने ऋषि संयमी ओर तपस्वी होते थे | पांच काम भोगो को छोड़ अपना ज्ञान ओर ध्यान लगाते थे ||१||

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अम्बेडकर वादी ऋषियों को अश्लील ओर कामी कहते नही थकते लेकिन बुद्ध स्वयम ,संयमी ,ध्यानी कहते है |
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ऋषियों को पशु न थे , न अनाज | वह स्वध्याय रूपी धन धान्य वाले ओर ब्रह्म निधि का पालन करने वाले थे ||2||
ब्राह्मण अबध्य अ जेय धर्म से रक्षित थे |
कुलो द्वारो पर उन्हें कोई कभी भी नही रोक सकता था ||५||
वह अडतालीस वर्ष तक ब्रह्मचर्य का पालन करते थे |
पूर्वकाल में ब्राह्मण विद्या व् आचरण की खोज करते थे ||६||
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एक पोस्ट में मेने पारस्कर ग्रहसूत्र से ४८ वर्ष ब्रह्मचर्य के कथन की पुष्टि की थी प्राचीन लोग उत्तम ब्रह्मचर्य ४८ का पालन करते थे ..ये स्वामी दयानद जी का भी मत है इस पर कुछ पौराणिक प्रश्न भी करते है लेकिन ग्र्ह्सुत्र .स्मृति ओर बुद्ध वचन में यह तथ्य है |
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ब्रह्मचर्य तप शील अ कुटिलता मृदुता सुरती अंहिसा ओर क्षमा की प्रशंसा करते थे ||9||
जो उनमे सर्वोतम दृढ पराक्रमी ऋषि ब्रह्मा था |
उसने स्वप्न में भी मैथुन धर्म का सेवन नही किया था ||१० ||
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बुद्ध का ये कथन पौरानिको , मुस्लिमो ,इसाइयो ओर अम्बेडकरवादीयो पर गहरा तमाचा है जो झूटी पौराणिक कथा उठा कर ब्रह्मा पर अश्लील आरोप लगाते है ..अम्बेडकरवादी अगर सच्चे बुद्ध है तो उन्हें बुद्ध वचन को प्रमाण मानना चाहिए अपेक्षा पुराणों के …. क्यूंकि बुद्ध ने कहा है की ब्रह्मा ने मैथुन का कभी स्वप्न में भी विचार नही किया था |

ये ऋषियों के बारे में बुद्ध के वचन थे इसके विपरीत अम्बेडकरवादी ऋषियों के विरुद्ध विष वमन करते है अम्बेडकर ने ऋषियों को मासाहारी शराबी तक लिखा है जो कि उनके वेद ओर ब्राह्मण आदि ग्रंथो के विरुद्ध कथन है ओर साथ ही बुद्ध वचन के विरुद्ध भी है |

5 thoughts on “महात्मा बुद्ध के प्राचीन ब्राह्मणों ,ऋषियों पर विचार”

  1. Sir m bhi ambedkr ji ko manne walo me lekin m aesa ni manti sir k ye log budh ji ki shiksha ko aatmsaat kr pate h ye bs apne mn se kiye chke jate h en logo ko baba ne smanta ka adhikar dilwaya lekin enohne uske bdle hmare dhrm shashtro ko ukta seedha kaha jbki unme jivan beimthaan khus kr dene wala gyaan bhra pda h mne jbse bhgwad geeta or thoda or kuch pdha h m jaan chuki sir ye shudr log kitne glt kam krte h m shudr hi hu lekin apni budhi pr parakhti hu pahle sb. Or krishna mere jivan me utr chuke h vo hi ni m sare dhrm grantho ko ek hi dhage me piroya hua smj chuki hu bht khush rhti hu m sir mere jivan me aseem santi h ab. Jai ho

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