बैठकर-निज मन से घंटों तक झगड़िए: आर्य संजीव ‘रूप’,

गीत

बैठकर-निज मन से घंटों तक झगड़िए

(तर्ज – राम का गुणगान करिए)

ईश का गुणगान करिए,

प्रातः सायम्् बैठ ढंग से ध्यान धरिए।।

ध्यान धरिए वह प्रभो ही इस जगत का भूप है,

यह जगत ही सच्चिदानन्द उस प्रभो का रूप है।

देख सूरज चाँद उसका भान करिए।।

हाथ में गाजर टमाटर या कोई फल लीजिए,

वाह क्या कारीगरी तेरी प्राो कह दीजिए,

ये भजन हर वक्त हर एक स्थान करिए।।

मित्रता करनी हो तो मन से भला कोई नहीं,

शत्रुता करनी हो तो मन से बुरा कोई नहीं

बैठकर निज मन से घंटों तक झगड़िए।।

– आर्य संजीव ‘रूप’, गुधनी (बदायूँ)

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