कुरान समीक्षा : आसपास के काफिरों से लड़ने का आदेश

आसपास के काफिरों से लड़ने का आदेश

यदि ऐसा उपदेश काफिरों को भी देवे और वे भी लड़ने पर कमर कस लेवें तो क्या इस्लाम का दुनियां में नामों निशान न मिट जावेगा? ऐसे लड़ाने भिड़ाने वाले उपदेश जिस किताब में हों वह संसार के लिए दुखदाई होगी या सुखदायी होगी? क्या खुदा भी फिसादी व फसाद पसन्द था?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

या अय्युहल्लजी-न आमनू…………..।।

(कुरान मजीद पारा ११ सूरा तोबा रूकू १६ आयज १२३)

अय मुसलमानों! अपने आसपास के काफिरों से लड़ो और चाहिए कि वह तुमसे सख्ती महसूस करें और जाने रहो कि अल्लाह उन लोगों का साक्षी है जो बचते हैं।

समीक्षा

जब दुनिया में सभी मुसलमान अपने पड़ोसी गैर मुस्लिमों से लड़ते रहेंगे तो किसी भी मुल्क में शान्ति कैसे रह सकती है? कुरान ने संसार में मार काट मचाने की शिक्षा देकर मुसलमानों के जहन को हमेशा खराब किया है। यदि गैर मजहब वाले भी ऐसी ही बात मुसलमानों के बारे में सोचनें लगें तो क्या इस्लाम का नामों निशान भी दुनियां में बाकी रह सकेगा? क्रिया की प्रतिक्रिया असम्भव नहीं है।

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